कवि सम्मेलन - एगो अजीब घटना
कवि सम्मेलन - एगो अजीब घटना
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कवि सम्मेलन एगो अजीब घटना ह
मँच पर पहुँचेवाला माइक पकर लेला
आपन नाम औरी पता दिहले बिना
दूसर के सिकायत निस्संकोच करेला
कवि सम्मेलन एगो बिसेस सूचना ह
सबके पहिलहीं से अवार्ड के आसा बा
कवि जानल पहिचानल नाहियो होखे
बाह ! बाह ! ताली खूब बरसेला
कवि सम्मेलन एगो नया नाटक ह
कवि अपना के 'बच्चन के बाप' समझेलें
अपने जिनगी के राह से भट्कल लोग
दूसर के रास्ता दिखावत चलेलें
कवि सम्मेलन एगो निमन कल्पना ह
सच छुपा के सपना के सैर करावेलें
मनई-मेहरारू सपना में एतना खो जालें
बैठल- बैठल ही कुर्सी पर सूत जालें
कवि सम्मेलन एगो अंहोनी घटना ह
भीड़ जमा करे में महीना लग जाला
टिकट बेंचेवाला पूरा कोसिस करेला
न बिकेला त मुफ्त में भीड़ जुटावेला
कवि सम्मेलन एगो गजब गणित ह
कवि ज्यादा औरी कवयित्री कम होखेलें
सादी-ब्याह कईल ढेर कुँवार कम दिखेलें
मालुम न कवना मजबूरी में सांति से सुनेलें
कवि सम्मेलन एगो दिमागी परीक्षा ह
जवनो कुछु नया लगे झट से नोट कर लीं
कलम न होखे त टेपवा पर रेकॉर्ड कर लीं
अबकि बार न सही, कम से कम -
अगिला कवि सम्मेलन के तैयारी कर लीं
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शैलेश मिश्र ( भोजपुरी कविता)
२८ मई २००८
डैलस, टेक्सास, (यू. एस. ऐ.)
smishra@gmail.com
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