Kaliyug Ke Dohe (Bhojpuri) कलियुग के दोहे
Kaliyug Ke Dohe (Bhojpuri)
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कलियुग के दोहे
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(1) नौकरी अइसन पकडीं, काम ना मिले रोज़
कंपनी चले भा डूबे, मिले पैसा, पेंसन, मौज
(2) बबुआ, फ्रेशर हव तs का भइल, चिंता जिन करs बेकार
दिनवा में सुतल करs, रतिया बा कॉल सेन्टर तैयार
(3) आपन काम अपने करीं, दूसरा पर ताकत रही जायिब
नौकर बड़का मालिक लगे, नौकरानी से ठेंगा पायिब
(4) सच मिले भा न मिले, जवन चाहीं कर दीं साँच
झूठा झूठे झूठ कहे, ना पकड़ पायिब तीन-पाँच
(5) चिट्ठी लिखे के समय ना, ईमेल से मिले सब पतरा
पैसा के जगह क्रेडिट-कार्ड बा, मोबाइल से बने जतरा
(6) सतुआ-लिट्टी-चोखा, खाए के ना मिली बबुआ
पिज्जा-पेप्सी से पेट भरबा, याद आवत रही हलुआ
(7) मेहरारू-मरद झगडत रहिल, लड़ाई से हो घरे में हल्ला
उमिरिया बीतत गइल, बियाह के मतलबे न परल पल्ला
(8) स्टाइल के ज़माना आईल, माँग में टिकुली भर सेनुर भराइल
घरवा में रिश्ता आईल, बेटी से पहिले बियाह्वल मेहरारू चुनायिल
(9) कलियुग में फायदा चाहीं, त बन जा ग्वाला-दूधवाला
दूध बेंचs भा पानी, समय बिन देखे ना घरवाला
(10) सब कुछ मिलल पर सुख ना मिलल, कवना मन्दिर-धाम जाईं
"शैलेश", मानुष कलियुग में फँस गईल, बचके हम कहवाँ जाईं ?
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शैलेश मिश्र (अमेरिका)
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