LittiChokha.com's review on Sajaniya Tohse..
पढ़ाई-लिखाई, रोजी-रोजगार भा कौनो अउर कारण से भोजपुरिया दुनिया के लगभग हर कोना में प्रवास करेलन. जगह-जगह के हिसाब से ऊ अपना के बदलबो करेलन... बाकी न बदलेला उनकर मन के कोना. उनकर ई कोना त भर जिनगी भोजपुरिया ही रहेला. निश्छल आ भावुक भोजपुरिया. अइसने भावुक प्रवासी भोजपुरिया शैलेश मिश्र के प्रेम रस में डूबल एगो गीत रउआ लोग खातिर प्रस्तुत बा.
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सजनिया तोहसे प्रीत लगवनी
ना तू हमके जानत रहलू
ना हम तोहके जानत रहनी
फिर भी अंखिया चार कइनी
सजनिया तोहसे प्रीत लगवनी
सरसों के खेत में घूमत रहलू
गछिया से अमवा तुड़त रहलू
खेतवा में लुक्का-छिपी खेलत रहनी
सजनिया तोहसे प्रीत लगवनी
तरकारी के बाज़ार में आवत रहलू
नजरिया मिलाय के झूकावत रहलू
झोरवा दोकनिये में भूला गइनी
सजनिया तोहसे प्रीत लगवनी
सावन में झूलूआ झूलत रहलू
बदरी घेराइल त झूमे लगलू
बरखा बूनी के ना हम देखनी
सजनिया तोहसे प्रीत लगवनी
रोज पनघट प पानी भरलू
चना-चबेना फटकत रहलू
चिनिया मांगे के बहाना कइनी
सजनिया तोहसे प्रीत लगवनी
हिरणी के चाल चलत रहलू
मोरनी के नाच नाचत रहलू
चिरई पियासल हम उड़त रहनी
सजनिया तोहसे प्रीत लगवनी
फगुवा में बसंती लागत रहलू
दिवाली में फूलझड़ी जनात रहलू
अकेलहीं खिचड़ी पकावत रहनी
सजनिया तोहसे प्रीत लगवनी
सपनवा में देखाई देत रहलू
दिनवा-रतवा भूलात न रहलू
जीवन-संगिनी तोहके चाहत रहनी
सजनिया तोहसे प्रीत लगवनी
-शैलेश मिश्र
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