Friday, September 23, 2011




अन्ना, ४ आना और ३२ रुपये
--------------------------------------

मैं अन्ना नहीं भारत सरकार का समर्थक हूँ
करोड़ों लोगों की आबादी में एक निरर्थक हूँ
जन्म से लेकर आज तक भ्रष्टाचार का प्रवर्तक हूँ

अस्पताल में जन्म लेते ही नर्स ने माँगा ४ आना
डॉक्टर ने बर्थ सर्टिफिकेट निकाली, फिर से दिया ४ आना
स्कूल प्रिंसिपल को खुश करने में लग गया ४ आना
राशन और चुनाव कार्ड में नाम जोड़ने का दाम ४ आना

कॉलेज एडमिशन और डिग्री में मेहनत लगी ४ आना
सरकारी नौकरी की सिफारिश में खर्च हो गया ४ आना
ज़मीन-जायदाद के कागज़ में चिपक गया ४ आना
प्रोमोशन और वेतन बढ़ाने में गुम हो गया ४ आना

बैंक अफसर लोन पास करता है, खाके मात्र ४ आना
ट्राफिक पुलिस लाइसेंस देता है जेब में रखके ४ आना
बिजली-फ़ोन भी काम करते हैं, उर्जावर्धक है ४ आना
ख़ूनी निर्दोष साबित होता है जब वकील की कोट में हो ४ आना

चुनाव में जीत निश्चित है जब मतदाता को मिले ४ आना
लोक सभा की सीटें भी सस्ती मिलती हैं, कीमत सिर्फ ४ आना
जात बदल दी जाती है, कम्युनिटी सर्टिफिकेट की मोहर ४ आना
धर्म बदल दिया जाता है, भूखे-प्यासे को जब मिले ४ आना

सरकार लोकपाल बिल के विरुद्ध थी, नहीं मिल रहा था उसे ४ आना
बोफोर्स, २-जी, आये-पी-एल में आज तक नहीं मिल सका हिसाब ४ आना
मरने के बाद भी मृतक को सबूत के लिए जुगाड़ चाहिए ४ आना
सरहद पर जवानों की लाशें नहीं खरीद सकीं कफ़न के लिए ४ आना

३२ रुपये से ज़्यादा कमाओ तो नहीं हो तुम गरीब या हज़ारे अन्ना
आयकर भवन को हिसाब देती है जनता अपनी हर एक पायी और ४ आना
अफ़सोस....
मैं अन्ना नहीं भारत सरकार का समर्थक हूँ
करोड़ों लोगों की आबादी में एक निरर्थक हूँ
जन्म से लेकर आज तक भ्रष्टाचार का प्रवर्तक हूँ
सरकार के बनाये कानून में भ्रष्टाचारियों का अंगरक्षक हूँ
भ्रष्टाचार का संचालक सरकार है, में तो मात्र पालनकर्ता हूँ
मैं कौन हूँ ?
मैं अन्ना नहीं, ४ आना और ३२ रुपये नोट का ...
.....लाचार "मोहनदास करमचंद गाँधी" हूँ !!!


-शैलेश मिश्र
डैलस, टेक्सास (अमेरिका)
२२ सितम्बर २०११