Wednesday, February 28, 2007

Jab-Jab Phagun Aawe (Bhojpuri Birha)

Here's my latest bhojpuri poem in the form of Birha. Hope you'll like it.

Jab-Jab Phagun Aawe (Bhojpuri Birha)
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1.Jab-Jab Aawe Phagun, Mahina Baras Ke Baad
Gam-gam gamke man mein, Piya-Milan Ke Yaad

2. Jab-Jab Aawe Phagun, sochin Amaavas Ke Raat
Kekra Saathe Kaatin, Bin Chanda ke Raat

3. Jab-Jab Aawe Phagun, Neendiya mein jaayin jaag
Nainan se neer barse , bheetari sulgay aag

4. Jab-Jab Aawe Phagun, Auran se karin daaj
Meera-shyam ke jodi, kaahe alag bhail Aaj

5. Jab-Jab Aawe Phagun, Dinawa Jaay Pasaraat
Mehendi ab pheeka lage, Chunari Jaay Lasaraat

6. Jab-Jab Aawe Phagun, khaana jab parosaat
Kaur muh mein rah jaaye, Piya ke aawe yaad

7. Jab-Jab Aawe Phagun, bhagwan se jodin haath
Piya ke chitti padh ke, karin ramayan ke paaTh

8. Jab-Jab Aawe Phagun, Senur Se Maang bharaay
Tikuli-Nathooni Pooche, Kaahe piya se algaay

9. Jab-Jab Aawe Phagun, Jhumka Jaas Heray
Prem rog ke lakshan ba, Kaise hoyi upaay

10. Jab-Jab Aawe Phagun, Tan-Man-Jiya Tadpaay
Koyaliya kooh-kooh pukare, Piya ke na Sunaay 1

11. Jab-Jab Aawe Phagun, Sisak ke royin anhaar
Ab MeeTh batiya hi bolab, Jingi ke meet hamar

12. Jab-Jab Aawe Phagun, Karin Singaar-Pataar
Ab Kangan-Baali na chaahin, piya bin soona duaar

13. Jab-Jab Aawe Phagun, Chale Piritiya bayaar
Kab laut ke aihen, Jahajiya se Piya hamaar

14. Jab-Jab Aawe Phagun, Kareja piraay baar-baar
Bairi Bides Sautan hamaar, Saat samundar paar

15. Jab-Jab Aawe Phagun, Phaguwa kare utpaat
"Sailesh", Birha bahut sataawe, kab aayi milan ke raat

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(Bhojpuri Birha -- by Sailesh Mishra )
27 Feb 2007
Dallas, TX, USA

Wednesday, February 21, 2007

My letter to Anjoria

My letter to Anjoria : First Bhojpuri Magazine on the Net.

http://www.anjoria.com/shaileshkemail.htm

Edited, and Published on behalf of Sysop Concepts,opp. Union Bank,Malgodam Road,Ballia - 277001by OP Singh.Contact : editor-at-anjoria.com call : +919415249824

भोजपुरी संसद में हमरा चिट्ठी के जवाब में अमेरिका से शैलेश जी के चिट्ठी मिलल बा. मन के बात पूरा सच्चाई का साथे ऊहाँका कहले बानी. हमरा लागल कि ई चिट्ठी सबका सोझा पड़े के चाहीं. एहसे पहिले चिट्ठी फेर टटका बसिया.

- सम्पादक

प्रिय सिंह जी ,
हमार ई इमेल आपन अनुभव पर आधारित बा. कवनो व्यक्ति का तरफ संकेत नइखे.. ठण्ढा होके पढ़ीं.

अँजोरिया.कॉम पर बेशक बढ़िया काम हो रहल बा, लेकिन चुप्पी के कारण ई हो सकेला कि लोग व्यस्त बा, आ बहस करिके थक गइल बा. कवनो नतीजा नइखै निकलत. बहुत बात भइल तरह तरह के, हर कोई लड़ाई में लागल बा, नाम कमाये का फेर में बा चाहे पइसा बटोरे में बिजी बा.

जेकरा लागत बा कि ई सब से कुछ नइखे होखेवाला, कुछ नइखे मिलेवाला, ऊ चुपचाप सरक जात बा. बाकि स्वंयभू नेता, संयोजक, पार्टनर भारत मे आ बहरी भी निराश बा कि भोजपुरी के कवनो मुद्दा से जोड़ला पर फायदा ना होई. वाहवाही करेवाला, भीड़ में शामिल होखेवाला ढैर बा, रास्ता दिखावेवाला कम. पइसा देबे लगावे के बाति होला, तऽ लोग गायब हो जाला.

भारत से अक्सर फिल्मप्रोड्यूसर का खोज में प्रवासी भारतीय से सम्पर्क कइल होला .. कि कवनो धनपशू मिल जाए, आ भोजपुरी फिल्म बनि जाए. नाम हो जाए. फालतू पइसा केहू का पास नइखे. प्रवासी भारतीय सोचेला - अरे तनकि भोजपुरी गाना/खाना मिल जाइत, तऽ देश के माटी इयाद आ जाई.. मन बहल जाई..आखिर परदेश में के बा आपन कहेवाला ? भारत मे रहेवाला भोजपुरिया भाई लोग सोचऽता .. अपने नौकरी के कवनो ठेकाना नइखे, हम का करीं ? जे सम्पन्न बा, ऊ मौका के इन्तजार में बा कि कब यूके, सिंगापुर भा अमेरिका में कार्यक्रम हो, कि हमहूँ घूमि आईं. जे बिचौलिया आर्गनाइजर बा ऊ सोचऽता कि कवन अइसन चीज करीं कि दूनू ौरि से यश पइसा लूटीं. चाहे कुछ नाहियो मिले, तऽ किताब-न्यूजलेटर में फोटो का संगे नाम छपवाईं...जइसे उहे दुनिया चलावऽता. कवनो नेता मंत्री फिल्मकार एहमे होखे, तऽ टूट पड़ी. आखिर हमनी का कवनो सन्त महात्मा तऽ हवीं जा ना !!

आत्मसमर्पित, बलिदानी, आ लगनशील लोग कम बा, कुछु पावे के खातिर कुछु खोवे के पड़ेला कि ना? सब चाहत बा कि काम केहू आउर कर दे, ताली पीटे ऊ पहुँच जाई, बस. मुफ्त में कुछुवो मिल जाई तऽ लूटेवाला हाजिर हो जाई. अ काम खराब होखे तऽ पूछीं मत - गरियावे के हजारो लोग आ जाई. भारत के सरकार से भी हम का अपेक्षा रखीं ? जब आजु ले बलिया छपरा में एगो ढंग के अस्पताल ना खुल पाइल, लोग के पढ़ाई ना हो पाइल, गाँव छोड़िके सब शहरे बसि गइल, तऽ का भोजपुरी संस्कृति बचावे चलल बानीं जा ?

मीडिया वाला भी खूब खेल खेले ले सँ. कवनो मनई कुछ कार्यक्रम करा देलन.. तऽ अगिला दिन उनकरा के आसमान पर चढ़ा दिहें सँ. बाद में, ऊ कुछ नाहियो करे तऽ झाँके भी केहू ना आई. बॉलिवुड सितारा चाहत बा भोजपुरी फिलिम में पइसा कमाईल. मुम्बई में रातो रात भोजपुरी एसोसियेशन बनि जाता. दिल्ली में भोजपुरी एसोसिएशन के मेम्बर खालि अंग्रेजी में बोलत बा. आ यूपी बिहार तऽ अपने ला आर्डर प्राब्लम से ग्रस्त बा. खालि दस हजार करोड़ के चीनि उद्योग के निवेश के घोषणा से थोड़े वास्तविकता बदलि जाई ?

केहू कवनो संस्था के प्रेसिडेण्ट होखे तऽ कवन बड़का तीर मार दिहलस ? आ केहू ५० गो भोजपुरी फिलिम पूरा कइलस त ओहसे हमरा का मिली ? फलाना सई एकड़ के जमीन रखले बाड़े तऽ हमार पेट थोड़े भरी ? आ दुनिया भर के अवार्ड पुरस्कार पाइके भी लोग भीतर से खोखला जिनिगी जी रहल बा. संतुष्ट होला तऽ बस उनुकर अहंकार. हमनी का सब खालि ऊहे करत आईल बानी जा. ईहे साँचि बा.

हम एगो आम भोजपुरिया हईं. अब का मिली संसद में मुद्दा उठाई के ? नेतागिरी करे खातिर बहुत लोग बा. वातावरण अइसहीं रही... तऽ नेता/अभिनेता तऽ बनिये जाइब. ऊफ्फ! रिक्शावाला तकले हमनी से ज्यादा इमानदार आ सुखी बा. अब, रउआ बताईं... ई सब में आम आदमी, एगो आम भोजपुरिया के का सोचे के चाहीं, का करे के चाहीं ? हार के ऊ आपन नौकरी, घर, बाल, बच्चा सम्हारे में लागि जाला!! सपना टूट जाला, आ आँखि खोलेला त सवेरा हो चुकल रहेला ..

ऊ भीड़ में फेरू गुम हो जाला.

शैलेश