Tuesday, July 07, 2009

जब ज़माना बदले लगे, त पश्चिमी सभ्यता के दोष बा?

ज़माना बदले लगे, त पश्चिमी सभ्यता के दोष बा?

साडी के जगह जींस लेलस, धोती के जगह बरमुडा
छोट बाल आ फ़िल्मी चाल, फैशन चलल बाल मांगमुडा
कुँवारी के कवनो सीमा ना, ना सुहागिन के माथे सिन्दूर बा
जब ज़माना बदले लगे, त पश्चिमी सभ्यता के दोष बा...?

इन्टरनेट कनेक्शन मिल गईल, दुनिया के हर दुआर खुल गईल
चैटिंग संस्कार नया परम्परा भईल, डेटिंग सभ्यता संगे आ गईल
ना सरकार के जोश बा, ना मनई के आपन होश बा
जब लोग गलती करे, त पश्चिमी सभ्यता के दोष बा...?

अमेरिकन आइडल के नक़ल भईल, इंडियन आइडल शुरु भईल
इंग्लिश काउंटी क्रिकेट से भी आगे, आई.पी.एल के रफ़्तार बा
बैठे-बैठल फटाफट पैसा मिले, इहे सबके अंदरूनी सोच बा
जब गलत असर दिखे लगे, त पश्चिमी सभ्यता के दोष बा...?

बियाह कानून बदल गईल, गेय-लेस्बियन दंपत्ति भईल
लोग खूब नारा लगावल, संविधान के धारा हटावे के बा
चोरी-छिपे सब होत रहे, समर्थन आ विरोध के ढोंग बा
जब सम्हार में ना आवे, त पश्चिमी सभ्यता के दोष बा...?

सभ्यता-संस्कार चिरई ना हवे, पाँख लगा के कहीं पहुँच जाई
दूर के ढोल सुहावना लगे, आपन बोली-भाषा-संस्कार कहाँ टिक पायी
देश-बिदेस देखलन शैलेश त बुझलन अपने सिक्का में खोट बा
जब दोसर कवनो बहाना ना मिले, त पश्चिमी सभ्यता के दोष बा...!!


शैलेश मिश्र
(बलिया, उ.प्र / अमेरिका)
जुलाई ७, २००९

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