Wednesday, May 28, 2008

कवि सम्मेलन - एगो अजीब घटना

कवि सम्मेलन - एगो अजीब घटना
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कवि सम्मेलन एगो अजीब घटना ह
मँच पर पहुँचेवाला माइक पकर लेला
आपन नाम औरी पता दिहले बिना
दूसर के सिकायत निस्संकोच करेला

कवि सम्मेलन एगो बिसेस सूचना ह
सबके पहिलहीं से अवार्ड के आसा बा
कवि जानल पहिचानल नाहियो होखे
बाह ! बाह ! ताली खूब बरसेला

कवि सम्मेलन एगो नया नाटक ह
कवि अपना के 'बच्चन के बाप' समझेलें
अपने जिनगी के राह से भट्कल लोग
दूसर के रास्ता दिखावत चलेलें

कवि सम्मेलन एगो निमन कल्पना ह
सच छुपा के सपना के सैर करावेलें
मनई-मेहरारू सपना में एतना खो जालें
बैठल- बैठल ही कुर्सी पर सूत जालें

कवि सम्मेलन एगो अंहोनी घटना ह
भीड़ जमा करे में महीना लग जाला
टिकट बेंचेवाला पूरा कोसिस करेला
न बिकेला त मुफ्त में भीड़ जुटावेला

कवि सम्मेलन एगो गजब गणित ह
कवि ज्यादा औरी कवयित्री कम होखेलें
सादी-ब्याह कईल ढेर कुँवार कम दिखेलें
मालुम न कवना मजबूरी में सांति से सुनेलें

कवि सम्मेलन एगो दिमागी परीक्षा ह
जवनो कुछु नया लगे झट से नोट कर लीं
कलम न होखे त टेपवा पर रेकॉर्ड कर लीं
अबकि बार न सही, कम से कम -
अगिला कवि सम्मेलन के तैयारी कर लीं

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शैलेश मिश्र ( भोजपुरी कविता)
२८ मई २००८
डैलस, टेक्सास, (यू. एस. ऐ.)
smishra@gmail.com

Monday, May 26, 2008

कवि सम्मेलन - एक अनोखी घटना

कवि सम्मेलन - एक अनोखी घटना
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कवि सम्मेलन एक अनोखी घटना है
मंच पकड़ने वाले माइक पकड़ लेते हैं
अपना नाम और पता दिए बिना ही
औरों की खिंचाई करने लगते हैं

कवि सम्मेलन एक अनोखी सूचना है
सभी कवि कहीं-न-कहीं पुरस्कृत हैं
नाम सुना हो या न हो कवि का
वाह! वाह! और ताली यूं ही बरसते हैं

कवि सम्मेलन एक नई विडम्बना है
कवि अपने आप को 'बच्चन' समझते हैं
जीवन के रास्ते से भटके हुए लोग
औरों को जीवन की सीख देते हैं

कवि सम्मेलन एक अनोखी कल्पना है
सच्चाई से दूर सपनों के द्वार खोलते हैं
कभी-कभी सपनों में इतना खो जाते हैं
बैठे-बैठे ही कुर्सी पर सो जाते हैं

कवि सम्मेलन एक अन्होनी घटना है
भीड़ जमा करने में महीने लगते हैं
टिकट बेंचने वाले कोशिश करते हैं
न बिके तो मुफ्त में श्रोता बुलाते हैं

कवि सम्मेलन एक अजीब तुलना है
कवि ज्यादा और कवयित्री कम होते हैं
शादी-शुदा अधिक और कुँवारे कम दिखते हैं
जाने किस मजबूरी में सब शांत होकर सुनते हैं

कवि सम्मेलन एक अविस्मरणीय घटना है
जो नया लगे उसे तुरंत नोट कर लीजिये
कलम नहीं तो टेप रेकॉर्ड अवश्य कर लीजिये
अबकी बार न सही, कम से कम -
अगले कवि सम्मेलन की तैयारी कर लीजिये

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शैलेश मिश्र
२६ मई २००८
डैलस, टेक्सास, (यू. एस. ऐ.)
smishra@gmail.com